
करवा चौथ पर्व आया
मन मे लाया ढेर उमंग
पिया प्यार मिलता रहे सदा
जीवन खुशियों से रहे भरा
माथे बिंदी ओढ़े चुनरी लाल,
करूं पिया मैं सोलह श्रृंगार।
करवा चौथ का ब्रत करूँ,
रह कर आज सत निराहार।
साजन प्यारे तेरी उम्र बढ़े।
तूँ जी ये सदा हजारो साल।
मोतियों से माँग अपनी भरूँ।
सिन्दूरी है मेरीबिंदी लाल।
चुड़िया सजी कलाई मेरी
पहनूँ मैं बाजुबंद आज
साजन तुमको करलूँ प्यार
अपनी अंखियों में रखु सदा
पावों में छनके छनके पायल।
मन भरा साजन का प्यार।
चलनी लेकर आज सखी
रही दोनो चाँद निहार।
प्यार सदातुम्हारा मैं पाऊँ।
हर पल हर दिन हर रात।
सलामत रहे सजना सलोना
मैं माँगू बस यही सौगात।
होना नही पलको सेदूर।
तूँ है मेरी आँख का नूर।
कभी नही बिछड़ेंगे हम।
रहे अमर मेरा सिन्दूर।