जीना चाहती हु मेँ।
जीना चाहती हु मै
उमीदो को पंख लगाकर
मै उड़ना चाहती हु।
जीना चाहती हु मेँ।
लड़को की तरह बचपन
को जीना चाहती हु।
पढ़ लिखकर सपनो को
पूरा करना चाहती हु।
मै जीना चाहती हूँ।
जीवन भर खुद की
पहचान ढूंढती हूँ।
क्या मेँ बस इस सवाल में
जीती हूँ।
बेटी बिन सुना घर आंगन
पिता का गर्व हैं बेटी।
उम्मीद हैं ज्योति हैं।
खुशबू हैं आँगन की।
क्युँ बेटी के अस्तित्व को
नकारा जाता।