तीन बजे दिन में आ गये वे
जब वे आये
किसी ने सोचा भी न था
कि ऐसे भी आ सकते है सारस।
केदारनाथ सिंह 

की ये पंक्तियां याद आती है….
जीवन की चुनौतियों का सामना करते हुए रोना आसां ऒर हँसना हँसाना सबसे कठिन काम है तो असल मामले में जिंदगी की जंग वही लड़ रहा होता है। हम सबकी ऐसा ही होना होगा जिंदगी की मुश्किलों में दो दो हाथ करते हुए जिंदगी के हर लम्हे को सकारत्मक नज़रिये से देखने का अभ्यास करना होगा। हमे मुकम्मल तौर पर महसूस करना है कि जीवन सकारत्मक है। दुख अंधेरा ओर निराशा कुछ पलों के मेहमान है ।जीवन की चुनौतियों का सामना है और उसकी जीत हमारी आत्मा में ही है।जिंदगी की एक एक हरकत में खुशी की सरगम बह रही है
शेक्सपियर ने कहा है कि जिंदगी एक रंगमंच है और हम सब कठपुतली सभी को अपने अपने किरदार अच्छी तरह से निभाने है।
जीवन मे बहुत कुछ एक पल में बदल जाता है एक क्षण में चंदा ढलता है एक लम्हे में सूरज जागता है कोई यूँ ही आ पहुँचता है जिसके आने की खबर ऒर उम्मीद न थी।
मुश्किलों के अंधेरे से निकलने के बाद जिंदगी का हर लम्हा खुशगवार होता है इसे महसूस करे जीये ओर बीते रहे पलो को यादों के एलबम में संजो ले…