पिता का है अभिमान
बेटी अनमोल है
क्यों बेटी को कोख में ही मार दिया जाता

क्या उसकी यही नियति है कि
वह एक लड़की है
वह डरी हुई सहमी सी है
हां अब उसे भी एहसास हो गया
कि वह सुरक्षित नहीं
मत मारो बेटी को कोख में
इनको भी है जीने का अधिकार
नहीं है बेटे से कम
बेटी भी है जननी भी है
उसे भीनिया में आने दो
अपनी पहचान बनाने दो
बेटी एक मुस्कान है
मत करो उस पर अत्याचार
खुशियां अपार उड़ने दो इन्हें
आसमां में परिंदे की तरह
क्यों समझा जाता बेटियों को बोझ
बेटी है वरदान
बेटी पिता के घर की शान
बेटी उजाला है घर का
पिता का है अभिमान
बेटी अनमोल है