
पुरानी यादें
हां कहाँ जाती हैं पुरानी यादें
वापस नहीं आती
पर रहती हैं हर पल आँखों के सामने
छत पर पुराने सीलिंग फैन की तरह
लटकी रहती हैं
हां ठहरे हुए पानी की तरह सड़ती हैं
पुरानी यादेँ
अटकती हैं श्वास रात भर राते गुजरती हैं मुश्किल से
कहा जाती हैं पुरानी यादेँ।
रिसती रहती हैं ताउम्र
तड़पाती हैं करती हैं बेचैन
न ऊगली जाती हैं
न निगली।
एक नासूर बन जाती हैं
पुरानी यादें
नश्तर सी चुभती हैं दिल के
किसी कोने में
पुरानी यादे।
हां कंहा जाती हैं ये
पुरानी यादेँ