भारतीय समाज और महिला
सदियों से औरत ताज हैं इस धरती का बरसो से वो पहचानी जाती हैं अपने सिंगार के लिए अपने भाव के लिए अपनी ममता के लिए
महिलाये समाज की वास्तविक वास्तुकार होती हैं। शक्ति का प्रतीक हैं। महिलाओ को सशक्त करना बहुत जरुरी हैं। महिला सशक्तिकरण प्रभावी होना समाज और देश और दुनिया के उज्जवल भविष्य के लिए बहुत ही आवयशक हैं लेकिन आज औरत की पहचान बस यही तक सिमट कर रह गयी हैं। वह देहरी के उस पार भी हैं और सरहद के उस पार भी
प्राचीन काल से ही महिलाओं को पुरुष के सामने निम्न स्थान दिया जाता रहा हैं लेकिन शिक्षा के विकास के साथ साथ पुरुषों का महिला के प्रति सोच में बदलाव आया !नारी को पुरुष के समान मान सम्मान और न्याय प्राप्त होने लगा ! स्वतंत्रता मिलने लगी यहाँ तक कि अधिकार भी ये सच हैं कि क़ानूनी रूप से महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार मिल गए परन्तु समाज में आज भी स्थान दोयम दर्जे का हैं समाज में बदलाव धीमी गति से हो रहा हैं !शिक्षित पुरुष भी अपने स्वार्थ के कारन स्त्री के प्रति अपनी सोच को बदलने में रूचि नहीं लेता ! उसमे अहंकार भरा हैं वो अपने को प्रमुख मानता हैं ! यही वजह हैं कि महिलाओं को राजनीती में भी स्थान नहीं दिया जाता !आज माँ बाप बेटी का कन्यादान कर अपनी जिम्मेदारीसे मुक्त हो जाना चाहते हैं !लड़की का कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं हैं !उसकी कोई इच्छानहीं हैं !शादी के बाद बाप के लिए पराई हो जाती हैं ! और बेटा बेटी में इतना अंतर क्यों ! ससुराल में अपने माता पिता के प्रति अभद्र व्यवहार और अपमान भी सहन करना पड़ता हैं !परिवार में बेटी होने पर निराशा जताई जाती हैं और बेटा होने पर ख़ुशी मनाई जाती हैं !जब तक लड़का लड़की को समाज में समान नहीं समझा जायेगा नारी उत्थान संभव नहीं हैं !लिंग भेद खत्म होना चाहिए !समाज में अभी भी नारी का शोषण हो रहा हैं ! आज भी दुष्कर्म बलात्कार , घरेलु हिंसा होना महिलाओ के साथ आम बात गई !आज भी समाज में नारी को भोग्या वस्तु समझकर उसकी अस्मिता के साथ खिलवाड़ किया जाता हैं !उसको वो सम्मान नहीं मिलता जिसकी वो हक़दार हैं !आज महिलाओ को खुद शिक्षित और आत्म निर्भर बन्ने की जरुरत हैं !जब नारी सशक्त होंगी तभी अपने अधिकार पुरुषों से चीन पायेगी !दुष्कर्म जैसे अपराधों से मुकाबला करना होगा तभी नारी को उचित सम्मान मिलेगा !समाज में सिर ऊँचा सकेगी !
प्राचीन काल से ही महिलाओं को पुरुष के सामने निम्न स्थान दिया जाता रहा हैं लेकिन शिक्षा के विकास के साथ साथ पुरुषों का महिला के प्रति सोच में बदलाव आया !नारी को पुरुष के समान मान सम्मान और न्याय प्राप्त होने लगा ! स्वतंत्रता मिलने लगी यहाँ तक कि अधिकार भी ये सच हैं कि क़ानूनी रूप से महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार मिल गए परन्तु समाज में आज भी स्थान दोयम दर्जे का हैं समाज में बदलाव धीमी गति से हो रहा हैं !शिक्षित पुरुष भी अपने स्वार्थ के कारन स्त्री के प्रति अपनी सोच को बदलने में रूचि नहीं लेता ! उसमे अहंकार भरा हैं वो अपने को प्रमुख मानता हैं ! यही वजह हैं कि महिलाओं को राजनीती में भी स्थान नहीं दिया जाता !आज माँ बाप बेटी का कन्यादान कर अपनी जिम्मेदारीसे मुक्त हो जाना चाहते हैं !लड़की का कोई स्वतंत्र अस्तित्व नहीं हैं !उसकी कोई इच्छानहीं हैं !शादी के बाद बाप के लिए पराई हो जाती हैं ! और बेटा बेटी में इतना अंतर क्यों ! ससुराल में अपने माता पिता के प्रति अभद्र व्यवहार और अपमान भी सहन करना पड़ता हैं !परिवार में बेटी होने पर निराशा जताई जाती हैं और बेटा होने पर ख़ुशी मनाई जाती हैं !जब तक लड़का लड़की को समाज में समान नहीं समझा जायेगा नारी उत्थान संभव नहीं हैं !लिंग भेद खत्म होना चाहिए !समाज में अभी भी नारी का शोषण हो रहा हैं ! आज भी दुष्कर्म बलात्कार , घरेलु हिंसा होना महिलाओ के साथ आम बात गई !आज भी समाज में नारी को भोग्या वस्तु समझकर उसकी अस्मिता के साथ खिलवाड़ किया जाता हैं !उसको वो सम्मान नहीं मिलता जिसकी वो हक़दार हैं !आज महिलाओ को खुद शिक्षित और आत्म निर्भर बन्ने की जरुरत हैं !जब नारी सशक्त होंगी तभी अपने अधिकार पुरुषों से चीन पायेगी !दुष्कर्म जैसे अपराधों से मुकाबला करना होगा तभी नारी को उचित सम्मान मिलेगा !समाज में सिर ऊँचा सकेगी !
कितनी खूबसूरत पंक्तिया लिखी हैं किसी कवियत्री ने
तन चंचला मन निर्मला
व्यवहार कुशला
भाषा कोमल
नदिया सा चलना
सागर में मिलना
खुद को भूलकर भी
अपना अस्तित्व संभालना
आज का युग तेरा हैं
परिणीता
नारी तुम पर संसार गर्विता