समानांतर साहित्य उत्सव Jaipur | मन समंदर काव्य संग्रह का विमोचन
समानांतर साहित्य उत्सव में कल कन्हैया लाल सेठिया मंच पर राजस्थान साहित्य अकादमी से पुरस्कृत मेरी किताब मन समंदर का विमोचन कहानीकार आदरणीय चरण सिंह पथिक कहानीकार रजनी मोरवाल अरुणा सिन्हा सत्य नारायण जी उर्मिला शिरीष जी ओर मेरे पिता डॉ रमेश जैन के हाथों किया गया मेरे लिए ये जीवन का बहुत बडा पल था सभी का स्नेह और आशीर्वाद मुझे मिला बहुत बहुत आभार ईश मधु तलवार जी ऋतुराज जी प्रेमचंद गांधी जी रमेश शर्मा
बहुत कुछ है मन में कहने को , एक समुन्दर समाया है जो कई अशांत नदियों को अपने भीतर ख़ामोशी से समेटे हुए है जब इस समंदर में मैं तुम्हे ढूंढने उतरती हूँ सफेद सीपियों से गुफ़्तगू करती हूँ मन समंदर मन मे उठ रहे भावो को लेखनी के माध्यम से मैने मन के समंदर में मोतियों के रुप मे पिरोया है मैं शुक्रगुजार हूं उस समंदर की जिसका नाम जिंदगी है जो मन से जुड़ीं है जिंदगी एक समंदर की तरह है जो हमे कठिनाइयाँ रूपी लहरों से डुबोने पर तुली होती है मगर हम जीने का हुनर नही सीखेंगे तो इस समंदर में कही खो जाएंगे । प्रस्तुत कविता संग्रह मन समंदर खुद का खुद से साक्षात्कार का निचोड हैं. अपने मन की भावनाओ को लेखनी से कविता के रूप में कलमबद्ध कर सकी।
मेरे पिता डॉ रमेश जैन से मुझे बचपन से ही अच्छे संस्कार औऱ अच्छी शिक्षा मिली उनकी प्रेरणा और प्रोत्साहन से आज मै यहाँ तक पहुचीं हूँ .उनका जीवन मे आगे बढ़ने में जो योगदान है कभी नही भूल पाऊंगी .मेरे पिता आशा ऒर विश्वास के साथ पुस्तक प्रकाशन के लिये बेहद प्रोत्साहित किया। प्रोफेसर रमेश कुमार जैन जिन्होने राजस्थान एवं भारत मे सर्वप्रथम खुला विश्वविधालय के अन्तर्गत बी जे एम सी पाठयक्रम प्राम्भ किया, राजस्थान में सर्वप्रथम पत्रकारिता का डिप्लोमा पाठ्यक्रम पत्राचार अध्ययन संस्थान राजस्थान विश्वविद्यालय के अंतर्गत आरंभ किया। पत्रकारिता और मीडिया पर करीब 35 किताबे लिखी,जिनका पत्रकारिता के क्षेत्र में 37 वर्षो का अध्यापन अनुभव रहा है ।कोटा खुला विश्वविद्यालय में बी जे एम सी ऒर पत्रकारिता एवं जनसंचार में पी एच डी.का पाठ्यक्रम शुरू किया
पिता जी अभी भी पत्रकारिता में परामर्शदाता के रूप में मार्गदर्शन कर अध्यापन का कार्य कर रहे है। पिताजी अपने कार्यों के साथ पारिवारिक जीवन में अपनी जिम्मेदारियो का बखूबी निर्वाह किया। जीवन पथ पर माँ सुलीचना जैन से प्रेरणा मुझे हमेशा मिलतीं रही
बचपन से ही मुझे पारिवारिक साहित्यिक अत्यंत ही कलापूर्ण परिवेश होने की वजह से मेरी हिंदी साहित्य और पत्रकारिता में गहन रुचि रही .मैने बी. ए ऑनर्स इतिहास और एम. ए इतिहास में किया.विवाह पश्चात पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण मैं अपने लेखन का कार्य व अध्ययन सुचारू रूप से नही कर सकी ऒर अपानी पूरी शिक्षा का उपयोग अपनी गृहस्थी को चलाने और अपने दोनों बच्चो को आदर्श जीवन प्रदान करने में किया. उनको सुसंस्कृत ओर सुशिक्षित देखकर बेहद खुशी मिलती हैं । पुत्र जयेश इस काव्य रचना के सफर का हम साथी रहा । मेरी छोटी बहिन पूजा जो अब इस दुनिया मैं नही है उसकी कमी हमेशा खलती रहेगी उसका प्यार मुझे हमेशा संबल देता है आगे बढ़ने का।


प्रस्तुत काव्य संग्रह में मन समंदर कविता दिल के करीब है जो दिल की बात करती है। बेटी की पुकार कविता आज के माहौल में रचना के माध्यम से बेटियों को सुरक्षित व सशक्त बनाने की बात करती है रिश्तों पर एक कविता रिश्ते जो आज परिवार में बिखर रहे रिश्तों का सच बयां करती है। मन में प्रिय से विछोह का जो दर्द है वो विरह में देखने को मिलेगा । हमारा आज शीर्षक कविता सकारात्मकता जीवन मे रखनी चाहिये ये कहती है आने वाला कल उम्मीद से भरा है ये बताती है। मौन की परिभाषा ओर भगवान बुद्ध पर लिखी कविता सार्थक प्रतीत होती है। आप बुध हो रचना भगवान बुद्ध के तप जीवन दर्शन औऱ शिक्षा का सजीव चित्रण करती है। अपने मन मे उठ रहे सामाजिक सरोकार से जुड़े विचारों और भावो को मन समंदर में एक माला के रूप में पिरो दिया ।
मैं आभार करती हूँ समानांतर साहित्य उत्सव के मुख्य आयोजक औऱ प्रगतिशील लेखक संघ के महासचिव ईश मधु तलवार का जिनका सहयोग और मार्गदर्शन मुझे हमेशा मिला । रमेश शर्मा जी का योगदान मुझे जीवन मे आगे बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण रहा .साथ ही मीनाक्षी माथुर जी की में हमेशा आभारी रहूंगी की उन्होंने मुझे आगे बढ़ने में हमेशा सकारत्मक माहौल दिया ऒर उनसे सीखने को मुझे बहुत मिला.। आभारी हूँ मै मेरी सासू मॉ नन्नी बाई का जिन्होंने मुझे बेटी से बढ़कर प्यार दिया और हमेशा नया औऱ अच्छा करने के लिये प्रोत्साहित किया। कोटि कोटि प्रणाम उनको। मैं वीना चौहान दीदी का आभार प्रकट करना चाहूंगी कि उन्होंने बेटी के रूप में प्यार दिया और हमेशा उत्कृष्ट लेखन के लिए मुझे ही नही राजस्थान लेखिका संघ की सभी सदस्या बहिनो को प्रेरित किया।। पति अनिल जैन की आभारी सदैव रहूंगी कि अपने आपको अभिव्यक्त कर पाई मुझे अपनी एक पहचान मिली । मानक भैया दिनेश भैया मधु औऱ अनिता भाभी का आभार करूँगी की उन्होंने जिंदगी के हर कदम पर मुझे सहयोग दिया।
मेरे पिता डॉ रमेश जैन का अतिशय स्नेह और आशीर्वाद सदैव मेरे जीवन पथ को प्रज्ज्वलित करता रहा है और करता रहेगा। पिता को प्रणाम
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