वंदे-मातरम्”
वतन की मिट्टी ले हाथ में,
उठाई हमने आज सौगन्ध,
गान गूँजेगा एक ही राष्ट्र में,
वन्दे-मातरम!वन्दे-मातरम्!!
बैर भाव सब भुला दिये हैँ,
कंधे से कंधा मिला लिये हैं,
नई उम्मीदें, नई आशायें,
नये धुन और नये सरगम,
वन्दे-मातरम्! वन्दे-मातरम्!!
अज्ञानता का कलंक मिटायेंगे,
पिछड़े भी हम नहीं कहलायेंगे,
कहीं नहीं होगा कोई अभाव,
मिटेगा भूखमरी का दुष्प्रभाव,
नई परिभाषाएँ लिख रहे हम,
वन्दे -मातरम्! वन्दे-मातरम्!!
ज्ञान-विज्ञान की किरणें फूटेंगी,
संकीर्णता की दीवारें भी टूटेंगी,
दृष्टि सबकी अब बदल जायेगी,
राजतन्त्र में भी शुचिता आयेगी,
राष्ट्र सेवा ही हो सबका धरम,
वन्दे-मातरम्! वन्देमातरम्!!