शब्द मंथन साहित्य चर्चा
राही सहयोग संस्थान के तत्वाधान में 12 जनवरी को शब्द मंथन साहित्य चर्चा काव्य गोष्टी आयोजित की गई। कार्यक्रम के मुख्य अध्य्क्ष डॉ राम लक्ष्मण गुप्ता अध्य्क्ष तुलसी मानस संस्थान ,मुख्य अतिथि डॉ दामोदर खडसे पूर्व अध्य्क्ष महाराष्ट्र साहित्य अकादमी विशिष्ट अतिथि डॉ दुर्गा प्रसाद अग्रवाल वरिष्ट साहित्यकार डॉ नंद भारद्वाज पूर्व निदेशक दूरदर्शन श्री भगवान अटलानी पूर्व अध्य्क्ष सिंधी साहित्य अकादमी गोविंद माथुर कवि साहित्यकार
: डॉ रजनी मोरवाल वरिष्ठ साहित्यकार ने कंहानी हवाओं का रुख सुनाई जिसमे सम्प्रदाय प्रेमविवाह औऱ उसके बाद वैचारिक मतभेद कई समकालीन सामाजिक मुद्दों को लेकर थी जिसने सभी श्रोताओं को।प्रभावित किया
: नंद भारद्वाज ने कई बातें लेखन को सुधारने हेतु बताई की कविता को हम सिर्फ पढ़कर या बोल कर नही लिख सकते सार्थक लेखन के लिए हमारे जीवन के अनुभव हमे अच्छा लेखक बनाते है जी यथार्थ हमने समाज मे भोगा है और जो समाज से लिया है वही हम अवने लेखन से समाज को लौटाते है उन तक पहुचाते है। जब तक हमारे अंदर ग्रहरी संवेदनाएं नही होगी तब तक हम सार्थक लेखन नही कर पाएंगे लेखन में संवेदनाएं ज्यादा काम करती है।गोविंद पारीक ने बेहरारीन कविता सुनाई। दुर्गा प्रसाद अग्रवाल ने बेहद रोचक यात्रा वृतांत सुनाया जो लास वेगास की यात्रा पर आधारित था ।साथ ही उन्हीने कई सुझाव भी दिए उन्होंने कहा कि हम आलोचना से नही डरे इससे हमारे अंदर सुधार होता है भगवान अट लानी जी ने अपने जीवन के अनुभव पर आधारित थी और जिसने हमे सोचने पर मजबूर कर दिया। दामोदर खडसे ने छोटी छोटी कविता सुनाई जो सीधे दिल मे उत्तर गई। दामोदर खडसे ने कई मराठी किताबो का हिंदी में अनुवाद किया है।


एस भाग्यम शर्मा ने बहुत ही सार्थक कहानी सुनाई जो आज के सच बुजुर्गों के अपेक्षा ओर अवेहलना को दर्शाती है। सबसे खास बात यरह रही कि शब्द मंथन साहित्य चर्चा में कंहानी लघु कथा कविता यात्रा संस्मरण सभी विधाओं पर रचनाकारों ने प्रस्तुति दी। कार्यक्रम का संचालन कविता मुखर ओर चित्रेश नर किया कुल मिलाकर आयोजन सफल और सार्थक एह