शाम ढलते ही लो यादों की जल उठती है Hindi Kavita
इस दिल में मन मरुस्थल में

सुंदर छवि प्रियतम की मन में उतरती है
मोम सीपिघलती हूं
जज्बात मचलते हैं
तड़पन होती इतनी रात तड़पती हूं
आंखों के कोरों से न जाने
कितने आंसू बहते हैं
अक्सर मेरी रात
आंखों में यूं ही कटती है
शाम ढलते ही लो यादों की जल उठती है
प्रियतम की याद से मन में
एक सिहरन सी उठती है
शाम ढलते ही यादों की लौ जल उठती है