श्रीमहावीरजी : जैनियों का प्रमुख पवित्र धार्मिक
स्थल


मंदिर निर्माण की पवित्र कथा-
कोई 400 साल पहले की बात है। एक गाय अपने घर से प्रतिदिन सुबह घास चरने के लिए निकलती थी और शाम को घर लौट आती थी। कुछ दिन बाद जब गाय घर लौटती थी तो उसके थन में दूध नहीं होता था। इससे परेशान होकर एक दिन उसके मालिक चर्मकार ने सुबह गाय का पीछा किया और पाया कि एक विशेष स्थान पर वह गाय अपना दूध गिरा देती थी। यह चमत्कार देखने के बाद चर्मकार ने इस टीले की खुदाई की… खुदाई में श्री महावीर भगवान की प्राचीन पाषाण प्रतिमा प्रकट हुई जिसे पाकर वह बेहद आनंदित हुआ।
दया, प्रेम, करुणा व अहिंसा के प्रणेता भगवान महावीर
भगवान के इस अतिशय उद्भव से प्रभावित होकर बसवा निवासी अमरचंद बिलाला ने यहां एक सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया। यह मंदिर प्राचीन और आधुनिक जैन वास्तुकला का अनुपम समागम है, जो प्राचीन जैन कला शैली के बने मंदिरों से अलग है। यह मंदिर मूल रूप से सफेद और लाल पत्थरों से बना है जिसके चारों ओर छत्रियां बनी हुई हैं।
इस विशाल मंदिर के गगनचुंबी धवल शिखर को स्वर्ण कलशों से सजाया गया है। । मंदिर में जैन तीर्थंकरों की कई भव्य मूर्तियां प्रतिष्ठित हैं। इसके साथ ही मंदिर की दीवारों पर स्वर्ण पच्चीकारी का काम किया गया है, जो मंदिर के स्वरूप को बेहद कलात्मक रूप देता है। मंदिर के सामने सफेद संगमरमर से भव्य ऊंचा मानस्तंभ बनाया गया है जिसमें श्री महावीरजी की मूर्ति स्थापित की गई है।
यहां की मुख्य बात यह है कि इस छत्री पर चढ़ाया जाने वाला चढ़ावा उसी चर्मकार के वंशजों को दिया जाता है जिसने प्रतिमा को भूमि से खोदकर निकाला था।
प्रमुख स्थल-
यहां देखने योग्य प्रमुख स्थलों में निर्मित है ‘ध्यान केंद्र’, जहां कई रंग-बिरंगे रत्नों से निर्मित चौबीस तीर्थंकरों की कई लुभावनी मूर्तियां हैं जिनको देखने के बाद आप मंत्रमुग्ध हुए बिना नहीं रह सकते। एकांत शांत वातावरण में आप ध्यान केंद्र में बैठकर ध्यान लगा सकते हैं।
चरण चिह्न-
भगवान के चरण चिन्ह मंदिर के पिछले हिस्से में बाग में बने एक मंदिर में स्थित जंहा पर हम इनके दर्शन कर सकते है। और बाग में चारो तरफ आपको खूबसूरत हरियाली देखने को।मिलेगी ।
यहां खूबसूरत बाल वाटिका का भी निर्माण किया गया है, जहां बाहर से आने वाले यात्रियों द्वारा अपने बालकों के पारंपरिक संस्कार मुंडन करवाकर अपनी आस्था प्रकट करते हैं। इसके अलावा यहां मानस्तंभ, शांतिवीर नगर, कीर्ति आश्रम चैत्यालय, पार्श्वनाथ भगवान का आकर्षक जिनालय (कांच मंदिर) तथा और भी कई जिन मंदिर दर्शनीय हैं।
इस पर्व का मुख्य आकर्षण रथ यात्रा होती हैं जिसमे दूर दूर से आकर सभी।लोग शामिल होते है
रथयात्रा के दौरान मीणा जाति के लोग मंजीरों की झंकार के साथ-साथ नाचते-झूमते नदी तट तक जाते हैं। इस तरह यह मेला सामुदायिक सद्भाव का भी प्रतीक है। जुलूस के पश्चात प्रतिमा को धूमधाम के साथ मंदिर में पुनर्स्थापित किया जाता है। इन दिनों भारी तादाद में श्रद्धालु मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना के लिए एकत्रित होते हैं और आराधना करते हैं। संध्या को पूरे मंदिर को दीपों से सजाया जाता है।
मंदिर प्रबंध समिति की ओर से एक नि:शुल्क बस दिन-रात मंदिर और रेलवे स्टेशन का चक्कर लगाती रहती है ताकि यात्रियों को किसी तरह की कोई असुविधा न हो। जिसका किराया न लेते हुए उस बस में एक बॉक्स रखा होता है जिसमें आप अपनी मर्जी चाहे जितने रुपए-पैसे डाल सकते हैं।
दिगंबर जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी मंदिर के आसपास कई धर्मशालाएं हैं, जहां आसानी से आपके ठहरने की व्यवस्था है जिसमें सभी तरह के कमरे उपस्थित हैं, जिनमें कुंदकुंद निलय, वर्द्धमान धर्मशाला, सन्मति धर्मशाला और भी कई धर्मशालाएं, एसी कमरे भी कम किराए पर उपलब्ध हैं।