दीप

नन्हा दीप माटी का
जलता अँधियारो में
मन के भेद मिटा दे
प्यार के भाव जगा दे
प्रेम और सौहार्द की
गंगा बहा दे
माटी के नन्हे दीप
ज्योतिर्मय हो हर दिशा
खुशनुमा हो।हर पल
गाँव गाँव द्वार द्वार
हो तुम्हारा स्वागत
माटी के नन्हे दीप
मन के दीप सतरंगी छटा
यू ही सजती रहे
neera jain