हिंदी कविता मुझे चाहिए सारा जँहा
एक छोटा सा घर नहीं
मुझे चाहिये सारा जँहा
ये वृक्ष समूह
झरनो से घिरी हुई
पूरी धरती
समंदर की चंचल लहरों
का प्यारा सा साथ
गहराई समुन्द्र सी
मुझे चाहिए अम्बर
रौशनी से घिरा हुआ।
मुझे चाहिए नीलिमा
आकाश की
लालिमा सूर्योदय की
मुझे चाहिए बहुत से शब्द
कर पाउ खुद को अभिव्यक्त
लिख डालू एक अच्छी कविता
मुझे चाहिये मुस्कान कलियों की।
मुझे चाहिए मेरे अपने
तभी सही मायने में मिलेंगे
जीवन को मायने।
हां एक छोटा सा घर नहीं
मुझे चाहिए सारा जँहा |
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