ख़ामोशी
तुमने जो कहा वो शायद
मैं समझ न पाई
और जो मैंने समझा चाहा
तुमने कहा नहीं।
और न जाने कहने सुनने में
कितने दिन यूँ ही निकल गए
या फिर हमे एक दूसरे को समझने में
पूरी जिंदगी बीत जाये।
लेकिन अगर फिर भी एक दिन
तुम मुझे समझ सको तो
मेरे जीवन को एक नया अर्थ मिल जाये।
अगर सुन सको तो सुन लो
तुम मेरी ख़ामोशी को।
ये ख़ामोशी एक दिन बनेगी मेरी ताकत।
न कहकर भी इतना कहा तुमसे
मगर तुम समझ न पाए
मेरे प्यार को
मेरे दर्द को
मेरे विश्वास को
लेकिन मुझे भरोसा हैं एक दिन
जीत लुंगी तुम्हे
और तुम लिख दोगे
अपना सारा जीवन मेरे नाम
