क्या कांग्रेस की राह आसान होगी
राजस्थान छत्तीसगढ़ औऱ मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव जीतने के बाद क्या एक बार आगामी लोकसभा चुनावों के लिए में कांग्रेस का सफर आसान होगा कुछ भी कहना मुश्किल है
राहुल गांधी जल्दबाज़ी में तो नही है क्या वो अपनी पार्टी के लिए की गई मेहनत पर पानी तो नही फेर देंगे। तीन राज्यो के मुख्यंमंत्री बनाने के निर्णय में कितना समय लगा कितना समय राहुल गांधी ने लगाया ये सब ये दर्शाता है कि राहुल गांधी में गाम्भीर्य नही है।
बात करे तो देश मे क्षेत्रीय दल भी मजबूत हो रहे है क्या इससे कांग्रेस पार्टी को आगे चलकर नुकसान नही होगा। पर ये सत्य है कि तीन राज्यो में कांग्रेस ने अपने आपको जीत दिलाकर ये सबित किया है कि कांग्रेस ज़िंदा है और मोदी सरकार के प्रति जनता की निराशा और अविशवास है है कि तीन राज्यों में कांग्रेस सत्ता में आई। प्रधानमंत्री मोदी की छवि एक अहंकारी शासक के रुप मे जनता के सामने बनी है जी शायद खुद को बदलने में आगे भी तैयार नही होंगे। मोदी के पास लोकसभा चुनावों के लिए इतना समय नही है जितना पिछली बार था इसका फायदा भी कांग्रेस की।मिल सकता है। इस समय जनता के बीच मोदी का उनकी पार्टी का विरोध बढ़ है।पिछले साढ़े चार वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री के नेतृत्व में जो कुछ हुआ इसका अनुभव उनके द्वारा किये गए वायदों से कम मेल खाता है वे लोगो को साथ लेकर चलने में नाकामयाब रहे । लेकिन अब कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी को कार्यकर्ताओ को वी सम्मान देना होगा और मजबूती के साथ लेकर चलना होगा और संगठन की मजबूत करना होगा तभी आगे के लिए उनकी राह आसान होंगी। जनता का भरोसा जीतना होगा।
भाजपा के अनुशासन के अच्छे दिन उनकी सीटो के साथ कम होते जा रहे है पार्टी में भीतरघात निराशा कार्यकर्ताओ में असंतोष सरकार की असफलता ओर नाकामी को।दर्शाता है । प्रादेशिक ओर केंद्रीय नेतृत्व को अब सीधे चुनोतियाँ मिलने लगी
भाजपा के बडे नेताओ ने अन्य कारणों से लोकसभा चुनावी से पहले ही पल्ला झाड़ चुकी है।ऐसे में कांग्रेस का आगे बढ़ना तय है और वो अपनी स्थिति देश मे मजबूत कर सकती है
कांग्रेस की कमजोरियों में अब भाजपा वैसी ताकत नही ढूंढ पाएगी जैसी की मन मोहन सरकार के खिलाफ प्राप्त हुई थी ।अब सिथति ऐसी है मोदी आंतरिक रूप से कमजोर होती एक ऐसी पार्टी के ताकतवर प्रधानमंत्री है दूसरी ओर राहूल बहुत जल्दबाज़ी में है लेकिन यह देश उन्हें अभी मोदी के विकल्प के रूप में स्वीकार करने के लिए तैयार नही है राहुल को गंभीरता से आगे बढ़ना होगा। राहुल गांधी का नेतृत्व इस बात से सिध्द हीग कि कांग्रेस में अपने हमउम्र महत्वाकांशी नेताओ को साथ लेकर चलने में कितने सफल होते है।राहुल।के लिए चुनोती कमलनाथ ओर अशोक गहलोत नही बल्कि सचिन पायलेट , ज्योतिराव सिंधिया ओर अन्य युवा नेता है
: मोदी को लेकर उत्साह गायब हो गया है लोगो को अहसास हो गया है पिछले पांच वर्षों में उनकी जिंदगी में कोई सकरात्मज फर्क नही आया है एक के बाद रक संस्थानी के ढहने ओर कोई भी चीज सरकार के पहुँच के बाहर न होने से अनिश्चितता की स्थति हो गई है हमारी राजनीति और अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही है।
भाजपा की यह सरकार वाजपेयी के जमाने जौसी नही है न ये उदार है न इसमे करुणा है।।।ऐसा नही है कि विपक्ष भाजपा का मजबूत और टिकाऊ विकल्प है।
राहुल को पिछले पांच वर्षों में खूब धिक्कार गाया तिरस्कार किया गया उन्हें ऐसे हारे हुए व्यक्ति के रूप में देखा गया जिनके लिए कोई उम्मीद नही है।और सब इससे उबरकर। वे मोदी की विकल्प की ।सूची में आ गए। राहुल।ने हर आलोचना का साहस और गरिमा और सहिष्णुता के साथ सामना किया। राहुल ने नई सम्भावना निर्मित भी की है।लेकिन मोदी को।हराना इतना आसान नही है वे पद पर भी है और उनके पास व्यापक संसाधन ही है
राहुल को पिछले पांच वर्षों में खूब धिक्कार गाया तिरस्कार किया गया उन्हें ऐसे हारे हुए व्यक्ति के रूप में देखा गया जिनके लिए वापसी की कोई उम्मीद नही है।और उन सब इससे उबरकर वे मोदी की विकल्प की ।सूची में आ गए। राहुल।ने हर आलोचना का साहस और गरिमा और सहिष्णुता के साथ सामना किया। राहुल ने नई सम्भावना निर्मित भी की है पर सबसे बड़ी बात यह है की राहुल को हर कदम सोच समझकर उठाना होगा क्योंकि उनकीं जरा सी गलती या कोई गलत फैसला विरोधियों को उनके खिलाफ आवाज उठाने पर मजबूर कर देगा राहुल गांधी और उनकीं पार्टी को अब कांग्रेस की राह आसान करने वाले जमीन तैयार करनी होगी।।लेकिन मोदी को।हराना इतना आसान नही है वे पद पर भी है और उनके पास व्यापक संसाधन ही है
मोदी को कम करके आंकना खतरनाक।होगा। किन्त सवाल यह हर कि कट राहुल जीत सकते है यह कहना जल्दबाजी होगी लेकिन समस्त भारतीयों के सामने ये साफ है कि।भाजपा अब अपनी जमीन खोती जा रही है जैसा दम्भ इसने दिखाया है वो आसान नही होगा। दूसरी तरफ राहुल विन्रम समझौता करने के लिए तैयार दिखाई देते है अन्य दलों के साथ रिश्ते बना रहे है और सबसे बड़ी बात सही उद्देश्य के लिए खड़े दिखाई देते है।फिर चाहे संकट ग्रस्त किसान हो या जे एन यू के धमकाए जाने वाले छात्र हो या लाखो की संख्या में बढ़ते युवा बेरोजगार हो । वे सबके साथ खड़े है वे अल्प संख्यको खासकर मुस्लिमो के साथ खड़े है।
राहुल विपक्ष को।जीत की।ओर ले जा सकते है या नही लेकिन वे कोशिश कर रहे है और इसके साथ उम्मीद पैदा होती है।सहिष्णुता ओर आम सहमति की राजनीति लौटेंगी।अब प्राथमिकता उस बात की है जहाँ धनी ओर गरीब साथ रह सकते थे
कांग्रेस चाहे हारे या जीते पर भारत जीतेगा लेकिम अब प्रियंका गाँधी को कांग्रेस का महासचिव बना दिया गया हे और उन्हें एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश के पूर्वी भाग की दी गई हे तो निश्चित र्रोप से कांग्रेस पार्टी मजबूत होगी
