शब्द

कभी शब्दों को जोड़ती हूं तो
बन जाती है सुंदर कविता
छुपा कर रखा था सबसे जो
दर्द जाहिर हो गया
लेकिन में कहां अभी तक कर पाई तुम्हें शब्दों में
अभिव्यक्त बहुत कुछ लिखती हूं पर
बहुत कुछ अधूरा है कुछ पन्ने कोरे रह गए
जिंदगी की हर एहसास बाकी है
अल्फाज बाकी है
कभी सोचती हूं कि
तुम मेरे अपने टूटा वह भरम बार-बार
कहां खुद में ढालपाई तुम्हें कहां।
अभिव्यक्त कर पाई
तुम्हे।शब्दों में