पिता जीवन का संबल हैं
पिता कभी नहीं हारे न हमे
हारना सिखाया।
पिता पालन हैं ,पोषण हैं।
पिता परिवार का अनुशासन हैं।
पिता अप्रदर्शित ,
अनंत प्यार हैं।
पिता हैं तो ढेर सारे सपने हैं।
पिता छोटे से परिंदे का ,
खुला आसमान हैं।
पिता का जीवन हु मैं।
मेरे सब कुछ हैं वो।
पिता अब मुझे रखना हैं ,
आपका ख़याल।
पिता आप मुझ पर यूँ ही
नेह बरसाते रहना।
प्यार
प्यार कितना सुन्दर शब्द हैं ,
जिसे सुनते ही
सुकून मिलता हैं।
प्यार भरोसा हैं ,
प्यार बिना जीवन
अर्थहीन हैं।
प्यार में चाहिए आज़ादी
प्यार में नहीं हैं बंधन।
प्यार एक नन्हे पौधे के
समान हैं।
इसे चाहिए विश्वास पल्लवित
होने के लिए।
प्यार के मायने एक की तकलीफ ,
दूसरे को दर्द का
अहसास कराती हैं।
स्वार्थ रहित प्रेम होगा
शाश्वत प्यार।
प्यार में नहीं होता कोई
हिसाब किताब।
प्यार तो सिर्फ एक
सुखद अहसास हैं।
प्यार उम्मीद हैं
होंसला हैं।
जिंदगी
अंजानो की भीड़ में
रहना सीखाती हैं ये जिंदगी।
जीवन को नए मायने देती हैं ,
ये जिंदगी।
एक ख्वाइश लिए ये जिंदगी
अजीब सी पहेली हैं।
मगर जिंदगी से लड़ना सिखाती
हैं ये जिंदगी।
कुछ न हासिल होगा अगर थक
कर हार गए
मुश्किलो से पार पाना सिखाती हैं
ये जिंदगी।
कभी हार तो कभी जीत
होती हैं ये जिंदगी।
हार को जीत में बदल दे
उसी का नाम हैं जिंदगी।
तुम जिन्दा हो ,
दामिनी तुम मरी नहीं हो ,
तुम जिन्दा हो ,
लोगो के दिलो और धड़कनो में।
हर एक गली और चौराहे पर।
तुम्हारा यह बलिदान ,
व्यर्थ नहीं जायेगा।
तुम जिन्दा हो एक उम्मीद ,
और रौशनी बनकर।
तुम जिन्दा हो
हर उस पुरुष की सोच में ,
जिसे हर स्त्री के प्रति अपनी गलत सोच
बदलनी होगी।
उसकी सम्मान और मर्यादा की
रक्षा करनी होगी।
तुम जिन्दा हो हर उस भारत की ,
नारी के दिल में।
जो कर रही हैं प्रतिकार
तुम्हारे साथ हुए अन्याय का।
बदल देना चाहती हैं हर ,
उस पुरुष की सोच को जो
नारी को कमजोर समझती हैं।
नारी अब संबल हैं
शक्ति का पर्याय हैं।
शायद आने वाले कल की
नई सम्भावना हैं।
क्युकि नारी बन गई हैं,
अब तुम्हारी आवाज़।
तुम जिन्दा हो देश की
आवाज़ में।
इंतज़ार
न जाने कब मिलोगे तुम मुझसे
कितने अरसे बाद
कितनी सदिया बीत गई
तुम्हारे इंतज़ार में ,
मानो पिछले जनम का
हो किस्सा
जब मिलेंगे
कैसे पहचानेंगे हम
एक दूसरे को
कैसे जानोंगे तुम मुझे
जिन्हें तुम खूबसूरत झील सी
आँखे कहते थे वो अब पथरा
गई हैं।
तुम साथ होते तो ये आँखे पथराती नहीं
हम देखते गुजरता हुआ वक्त
इन्ही आँखों से।
इन्ही बदलावो के साथ
तब कितना आसान होता हमारे लिए
एक दूसरे का हाथ थामना
और साथ साथ बूढ़ा जाना
अब सिर्फ प्रतीक्षा तुम्हारी
by नीरा जैन
http://neerakikalamse.blogspot.in/
works at all india radio jaipur
writer poetress