तुम्हारे इंतजार
न जाने कब मिलोगे
तुम मुझसे
कितने अरसे बाद
कितनी सदियां बीत गई
तुम्हारे इंतजार में,मानो
पिछले जन्म का हो किस्सा
जब मिलेंगे कैसे पहचानेंगे
हम एक दूसरे को ,
कैसे जानोगे
तुम मुझे जिन्हें तुम
खूबसूरत झील सी,
आंखें कहते थे वह पथरा
गई हैं,
तुम साथ होते तो ये
आंखें पथराती नहीं
हम देखते गुजरता हुआ
वक्त इन आंखों से इन्हीं
बदलावों के साथ तब कितना
आसान होता हमारे लिए
एक-दूसरे का हाथ थामना
और साथ-साथ बूढ़ा हो जाना
अब सिर्फ तुम्हारी
प्रतीक्षा।